Report : Venkateswar Rao

दिनांक 17 जुन 2023, आप सभी जानते है की रोग चाहे छोटा हो या बड़ा किसी को भी हो सकता है, वो किसी के साथ भेद भाव नही करता ना किसी का अमीरी देखता है ना गरीबी और ना ही शहर देखता है और ना ही गांव और ना ही सहुलियत।  लेकिन रोग के इलाज मे पैसा और सहुलियत दोनो मायने रखते है।  उत्तर और मध्य अण्डमान जैसे ग्रामिण छेत्रो मे भी गरिबो को कई बड़ी बिमारीयों से सामना करना पड़ता है, कई लोग तो बेहतर इलाज के कमी के कारण जान गंवा देते है।  इन्ही बिमारीयों मे क्रोनिक किडनी का रोग भी आता है जिसे सप्ताह मे 2-3  बार डैलेसिस का जरुरत पड़ता है।  लेकिन उससे पहले उसमे आर्टेरियोवेनस फिस्टुला प्रिफिक्स करना पड़ता है।

आप सभी तो जानते है कि इस तरह के सहुलियत हमारे उत्तर और मध्य अण्डमान के ग्रामिण छेत्रो मे मिलने से रहा, लेकिन पोर्ट ब्लेयर मे कोविड-19 महामारी समय से पहले हर अंतराल पर मुख्य भुमी से नेफ्रोलॉजिस्ट आते थे और GB  पंत अस्पताल मे आर्टेरियोवेनस फिस्टुला प्रिफिक्स के लिए कैंप लगाते थे।   तब उत्तर और मध्य अण्डमान के गरीब क्रोनिक किडनी रोगी वहां जाकर अपना इलाज और डैलेसिस करवाते थे।  लेकिन कोविड-19 के बाद लगभग 2020 के बाद से इस तरह के कैंप लगना बंद हो गए।  और  GB पंत अस्पताल मे सिर्फ डैलेसिस के लिए स्टैनिया डाक्टर के माध्यम से जगुलर वेन कैथेटर का फैसेलिटी दिया जाने लगा, जो अस्थायी समाधान है जो कि सिर्फ 3  महिने तक ही रहता है।

इस मामले मे ग्राम पंचायत शिवापुरम के तरफ से अण्डमान और निकोबार के मुख्य सचीव जी को संज्ञान दिया गया और अनुरोध किया गया है कि पहले की तरह फिर से GB पंत अस्पताल मे नेफ्रोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट को बुलाकर एक विशेस कैंप लगाया जाए साथ मे उत्तर और मध्य अण्डमान मे भी इस तरह के कैंप का नियमीत रुप से आयोजन किया जाए ताकी गरीब लोग उसका लाभ उठा सके।

Previous articleजी20, एन.ई.पी और एफ.एल.एन – जवाहर नवोदय विद्यालय पंचवटी, उत्तर और मध्य अंडमान में एक जनभागीदारी कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
Next article9वीं अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को ध्यान मे रखते हुए रमन बगिचा समुद्र तट पर सब डिविज़न रंगत के तरफ से बीच क्लिनींग ड्राईव रखा गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here