GB पन्त अस्पताल में लापरवाही का एक और मामला आया, इलाज में देरी के कारण गयी जान |
Share
Report : Sangita Singh
दिनाक 12 जुलाई 2024 , GB पन्त हॉस्पिटल पोर्ट ब्लेयर में स्वर्गीय विमला जी का अस्पताल के लापरवाही के कारण हुए देहांत का मामला शांत हुआ ही नहीं था की दिनाक 11 जुलाई 2024 को उसी अस्पताल में फिर से लापरवाही के कारण एक व्यक्ती का देहांत का मामला आ गया |
मदी नाम का व्यक्ति जो की कछाल का निवासी था उसे पैर में जख्म के कारण एक हफ्ता पहले GB पन्त अस्पताल में रेफेर किया गया | पहले उन्हें सर्जिकल वार्ड में रखा गया, फिर उन्हें एब्डोमेन में दर्द होने लगा, चेकप के दौरान पता चला की पेट में पानी जमा है और लीवर का भी मसला है |
उसके बाद करीब 11 बजे के आस पास उन्हें सर्जिकल वार्ड से न्यू ब्लाक में आगे के चेकप और पेट का पानी निकासी के लिए भेजा गया | सारे औपचारिकताओं को पूरा कर न्यू वार्ड पहुँचते पहुँचते दिन के 2:30 बज गया, न्यू वार्ड पहुचने के बाद भी लगभग रात के 8 बजे तक कोई भी मेडिसिन डॉक्टर आकर इलाज नहीं किया, मरीज ICU तक पहुँचते पहुँचते रात के करीब 9 बज गया और करीब 10 : 15 के आस पास मदी जी का देहांत हो गया |
मदी जी के दोस्त श्री लॉरेंस जी का कहना है की जब मरीज अस्पताल में एडमिट हो गया है तो फिर चेकप और इलाज के लिए घंटो इन्ज्तेजर क्यों करवाया जाता है, अगर सर्जिकल डॉक्टर और मेडिसिन डॉक्टर के बिच समन्वय सही रहता तो इलाज में इतना देर नहीं होता | वहीँ उनका कहना है की वो लोग एक जान की कीमत समझ नहीं रहे है | वहीँ श्री गौरव जी का कहना है की और कितने जान लापरवाही के कारण जायेगी, पूरी तरह से लापरवाही है | वहीँ श्री राकेश्वर लाल जी ने मीडिया के सवाल जवाब के दौरान कहा की “अस्पताल ने ठान लिया है की कुछ भी कर लो हम सुधरने वाले नहीं है”. वही श्री अंशुमन रॉय जी ने कहा की जब मरीज अस्पताल आ जाता है तो इलाज सुरु कर देना चाहिए लापरवाही कर इलाज में देरी के कारण अगर किसी का जान जाता है तो उसके बाद किसी भी प्रकार के दलील का कोई मायने नहीं रहता, उन्होंने कहा की अगर समय रहित इलाज सुरु कर दिया जाता और पानी निकाल दिया जाता तो मरीज को थोडा रहत मिलता और सायद जान भी बच सकता था |