Report : Pankaj Singh
दिनांक 17 जनवरी 2023, सुभाष चन्द्र बोस के जनम तिथी के अवसर पर बकुलतला मे हर साल मनाए जाने वाले सुभाष मेला का अपना ही रुतबा रहा है, इस मेला को देखने के लिये लोग दुर दुर से आते है। येहां तक कि सरकारी विभाग भी अपना स्टाल इस मेला मे लगाते है। इस मेले मे रंगा – रंग प्रोग्राम से लेकर और भी कितने छोटे मोटे अयोजन होते है। कुल मिलाकर साल के सुरुआत मे होने वाला ये मेला लोगो के लिये एक मनोरंजक पैकेज है।
लेकिन अण्डमान मे एक कहावत है ” दो बैलो कि लड़ाई मे झाड़ियों की बरबादी ” मायने दो लोगो के झगड़े मे किसी तिसरे चिज का नुकसान हो जाना। ऐसा ही कुछ बकुलतला मे हुआ, जानकारी के अनुसार पहले हर साल बकुलतला मे सुभाष मेला कमेटी इस मेला का आयोजन करता था। इस कमेटी मे बकुलतला के बेपारी परिवार का दब – दबा रहता था, येहां तक की सुत्रो से पता चला है की पहली बार बकुलतला मे सुभाष मेला का आयोजन भी बेपारी परिवार ने ही किया था।
लेकिन इस साल कहानी मे मोड़ तब आया जब इस मेला का आयोजन करने के लिये बकुलतला ग्राम पंचायत भी आगे आ गया। उसने अपना अलग कमेटी का गठन करके लोगो से मेला का चंदा भी कलेक्ट करने लगा। इस वजह से मेला का पुराना कमेटी और पंचायत के बीच विवाद बढ़ गया, और ये विवाद उत्तरी और मध्य अण्डमान के आयुक्त तक पहुंचा। जब वहां भी इस विवाद का समाधान नही मिला तो फैसला ये किया गया की इस साल बकुलतला मे सुभाष मेला नही मनाया जायेगा, मेला को रद्द कर दिया गया।
चुंकी पंचायत के तरफ से इस मेला को मनाये जाने के लिये लोगो से चंदा कलेक्ट कर लिया गया था इसलिये पंचायत ने नेताजी के जानम तिथी के अवसर पर अलग अलग अयोजन रखने का फैसला लिया। इन आयोजनो के अंतरगत कुछ खेल आयोजन भी शामिल है जैसे बकरा कप फुटबाल प्रतियोगिता और बकुलतला प्रिमियर लिग क्रिकेट प्रतियोगिता इत्यादी। येहां सवाल ये है की सुभाष मेला रद्द होने के बाद क्या बकुलतला वासी इन आयोजनो से संतुस्ट होंगे!?, इस सवाल का जवाब तो आगे ही मिलेगा।