2022 के भारत का अण्डमान मे 60 और 70 के दसक की दोबारा झलक।
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दिनांक 25 नवंबर 2022 , हर किसी के लिये समय मुल्यवान होता है, चाहे बच्चो का हो या व्यस्को का। सिर्फ अंतर इतना है कि व्यस्क उस समय का इस्तेमाल अपने काम काज के लिये करते है और बच्चे पढ़ाई और खेल कुद के लिये। दोनो चिजे बच्चो के लिये महत्वपुर्ण है।
अगर बच्चो के जिवन से हर दिन ढेड़ घंटा समय बरबाद कर दिया जाय तो इसका क्या असर होगा !!? हम बताते है, अगर बच्चे शहर के हो तो उनके अभिभावक हंगामा कर देंगे अगर बच्चे दुर दराज गांव के हो तो उनके अवाज को सुनने वाला भी कोइ नही होगा।
ऐसा ही कुछ घटना रंगत तहसील के पंचवटी गांव मे हो रहा है , जहां राजकिय माध्यमिक विद्यालय पंचवटी के बच्चो का रोजाना लग-भग ढेड़ घंटा समय बरबाद हो रहा है। विद्यालय कि छुट्टी रोजाना 2:30 Pm को होता है लेकिन पंचवटी के अंदर गांव मे रहने वाले बच्चो को बस रोजाना 4:00 बजे मिलता है। उस दौरान बच्चे पंचवटी चौक के बस स्टाप पर खड़े होकर बस के आने का इंतेजार करते है।
बच्चे एक दो नही बल्की बहुत सारे है जिनका घर पंचवटी गांव के बहुत अंदर है, लग-भग 3 किलो मिटर अंदर। वहां तक पहुचने का सड़क भी बहुत खराब हालत मे है, सड़क पुरी तरह से किचड़ मे तब्दील हो चुका है। उस सड़क पर पैदल बच्चो को तो छोड़िये व्यस्को के लिये भी चलना मुस्किल है।
इस समस्या के बारे मे जब हमने वहां के प्रधान वेंकेटेस्वर राव जी से पुछा तो उन्होने बताया की इस समस्या को लेकर STS विभाग से बात की , लेकिन उन्होने बस कि कमी का हवाला दिया। इस समस्या को लेकर दुसरे अधिकारीयों के पास भी गए लेकिन अभि तक कोई हल नही निकला।
उन्होने बताया की कुछ बच्चो का घर गांव के बहुत भितर तक है, बस से उतरने के बाद भी उन्हे बहुत दुर तक पैदल चलना पड़ता है। उन्हे घर पहुंचते पहुंचते अंधेरा हो जाता है, जिस कारण कभि कभार उन्हे डर का सामना भी करना पड़ता है।
सायद पहली नजर मे ये कोइ बड़ि समस्या नजर न आए , लेकिन हमने इस समस्या के अंतरगत 2022 के भारत का अण्डमान मे 60 और 70 के दसक की दोबारा झलक देख रहे है, तब देश मे विद्यालयो कि कमी के करण बच्चो को विद्यालय तक पहुंचने मे संघर्ष करना पड़ता था। सायद येही पंचवटी के बच्चे बड़े होकर आने वाले पीढ़ी को बतायेंगे कि कैसे हमने 2022 मे विद्यालय से पढ़कर खराब रासतो से रात को घर पहुंचते थे।
GOOD JOB ROHIT🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🎤🎤🎤😎😎😎FROM RANGAT.