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HINDI STORY

बगुला और सांप

Pankaj Singh March 22, 2021
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ग़ोकुल प्रान्त अपने खुबसुरती के लीये जाना जाता था , हरे हरे जंगल , चह चहाती पक्छियां और अनेको द्रिश्य इस प्रांत का शोभा बढ़ाते थे। उसी तरह इस प्रांत मे एक विशाल और हरा भरा परवत था, उस परवत से एक झरना नीचे की ओर गिरता था , उस झरने के नीचे खूबसुरत सा झील जिसमे अनेको जीव जंतु नीवास करते थे। उसि तरह उस झील के किनारे बगुलो का एक झुंड नीवास करता था, वो झुंड झील मे रहने वाली मछलीयां और मेढको का शीकार करके अपना गुजारा करते थे।

उस झुंड के सरदार का नाम माली था , माली के दो बेटे थे, बड़े का नाम ऊकुंद जो कि आगे चलकर झुंड का सरदार बनने वाल था , और छोटे बेटे का नाम नुकुंद था। बड़ा बेटा उकुंद बहोत ही जिद्दी प्रव्रत्ती का था , भाविश्य का सरदार होने के नाते उसमे घमंड भी आने लगा था।

नुकुंद शांत स्वभाव का था, अपने ही काम से नाता रखता था , उसे राज पाट मे ये तुम्हे कुछ ऐसा करना होगा जिससे झुंड तुम्हे अपना सरदार दिल से माने।

दोनो बेटो ने उसके लिए अपनि हामी भरी , और फिर ऊकुंद सोचने लगा कि कैसे झुंड क दिल जीता जाए , और वो इसि सोच मे कुछ दूर उड़ते हुए चला गया , और जाकर परवत पर बैठ गया , वो सोच ही रहा था कि तभी एक सांप उसके पास आया और पुछा कि क्या परेशानी तुम्हे सता रहा है ?।

ऊकुंद घबरा गया और पुछा कि तुम कौन हो? , सांप ने उत्तर दिया “मै एक रेंगता हुआ अबला जीव हुं , जिसके पैर तक नही है , आपको मुझसे डरने की अव्यस्याक्ता नही है, आप हमसे ताकतवर है , आपके पास पंख है जिससे  उड़ सकते है, चोंच है जिससे लड़ सकते है, दो पैर है जससे आप किसी को भी दबोच सकते है, मेरे पास तो कुछ भी नही है, इसलीये मुझसे ना डरो।

ऊकुंद  ने भी सोचा कि ये जीव तो सच कह रहा है , इसके पास तो कुछ भी नही है, मुझे घबराने कि जरूरत नही है।

फिर ऊकुंद ने अपनी परेसानी उस सांप को बताया , उसके बाद सांप ने कहा कि मै मदद कर सकता हुं , मै जानता हुं कि तुम्हारे झुंड पानी मे शिकार करने के लिये कितना मेहनत करते है।  कभी कभी तो शिकार तो मिलता भी नही है , जिसकी वजह से उस दिन तुम लोगो को भुखा ही रहना पड़ता है।  मै पानी के अन्दर घंटो तक रह सकता हुं , और असानी से मेंढक और मछ्लीयां पकड़ सकता हुं।  मै तुम्हारे झुंड के लिये शिकार पकड़कर दुंगा , जिससे तुम्हारे झुंड का भरोसा तुम पर बढ़ जायेगा और झुंड के लिये भी असानी होगा।

ऊकुंद ने सोचा , अगर ऐसा हो गया तो सारा झुंड मुझसे खुस हो जयेगा , और वो मुझे सरदार मानने लगेंगे।  फिर ऊकुंद ने बिना सोचे समझे अपनी हामी भर दी।

सांप ने कहा , लेकिन उसके लिये तुम्हे मुझे उस झील तक पहुंचाना होगा , मै इतनी उंचायी और दूर तक नही जा सकता , सबसे पहले अपने साथ कुछ साथीयों को लेकर आओ , जो मुझे उठाकर उस झील तक पहुंचा सके।  और अपने पीता और झुंड को मत बताना कि मै एक सांप हुं , नहीं तो वो मेरी कमजोरी का मजाक उडायेंगे , सिर्फ कहना कि मै एक मित्र हुं।

ऊकुंद उस सांप को रुकने को कहकर अपने साथियों को लेने के लिये चला गया , झुंड मे पहुंचकर ऊकुंद ने सभी को उस बात के बारे मे जानकारी दी , और अपने मित्र को झुंड मे सामिल करने को कहा , ऊकुंद ने अपने झुंड से सांप के बारे मे कुछ नही बताया।

माली उस बात को सुनकर उकुंद से कहा , तुम्हारे उस मित्र को हम नही जनते , येहां तक कि तुम भी ठीक से उसे नही जानते , क्योंकि तुम्हरी मित्रता को ज्यादा वक्त नही हुआ है।  किसी अंजान को अपनी झुंड मे शामिल करना ठीक नही होग।

उकुंद अपनि प्रव्रत्ती के अनुसार जिद्द करने लगा , और अपने पीता से लड़ने लगा।  सारा झुंड सब कुछ देख रहा था , लेकिन उकुंद उस सांप को झुंड मे शामिल करने के लिये जिद्द पर अडा रहा।  बहोत देर सुनने के बाद नुकुंद ने कहा , पीताजी जो कह रहे है वो सही है , किसी अनजान का हमारे येहां आना हमारे लिये खतरा भी हो सकता है।

तभी उकुंद क्रोध मे आकर नुकुंद को चुप रहने को कहा , और कहा कि मत भुलो कि मै भविश्य क सरदार हुं , तुम्हारा काम सिर्फ मेरा आग्या को मनना है।  ये सुनकर नुकुंद को दुख हुआ और सबसे ज्यादा दुख माली को हुआ।  आखिरी मे माली अपने बडे बेटे के जिद्द के समने झुक ही गया और सांप को झुंड मे सामिल करने के लिये तैयार हो गया।

माली के झुकने को उकुंद घमंड मे अपनी पहली जीत माना और अपने  5 -6 साथियों के साथ उस सांप को लेने चला गया।  उकुंद के साथियों ने भी सांप को देखकर उकुंद से कहा कि ये प्राणी हमे कुछ ठीक नही लग रहा है , हमे इसे अपने झुंड मे शामिल नहीं करना चाहीये।  ये सुनते ही सांप ने उकुंद से कहा , कैसे तुम सरदार हो ! तुम्हारे लोग तुम्हारा बात नही मनते।  फिर उकुंद क्रोध मे अपने साथियों को चुप चाप सांप को ले चलने को कहा।  उसके साथी बेमन से सांप को अपने पंजे मे दबाए झील की तरफ उड़ चले।

साथी बगुलो ने झील पर पहुंचकर उस सांप को झील मे छोड़ दिया , ये देखते ही माली चिल्लाया अरे ये तो एक बडा सा सांप है , ये तुमने क्या किया।  लेकिन तब तक बहोत देर हो चुका था।  सांप उनमे से एक बगुला को जकड़ लिया और बोला , अब से इस झील का मलिक मै हुं , कोइ भी इस झील मे आयेगा तो उसे मै मारकर खा जाऊंगा। ये सुनते उकुंद ने कहा , मित्र ये क्या कह रहे हो , तुमने तो हमे शिकार पकड्कर देने का वादा किया था , ये सब क्या है !।

सांप ने कहा , मै तुम्हारा मित्र नही हुं , तुम एक बेवकुफ और घमन्डी राजकुमार हो।  जो सिर्फ अपने आप को श्रेश्ठ समझता है , मैने तुम्हारा इस्तेमाल किया इस झील तक आने के लिये।  मै इतनि उंचयी से खुद नहीं आ सकता था ,गिर जाने का डर लगा रहता था , लेकिन मै उपर से सबकुछ देख सकता था , जब मैने तुम्हे पहाड़ पर बैठा देखा तो खुद को कमजोर बताकर तुम्हारा इस्तेमाल किया , अब से इस झील कि सारी मछ्लियां मेरी हुइ।  तुम लोग अगर येहां से नही गये तो सबको मार दुंगा।

सारा झुंड इस बात से डर गया , और थोडी उंचाई पर जाकर बैठ गया , सब उकुंद और माली को कोसने लगे , माली भी इस बात से बहोत दुखी हुआ , माली उकुंद से कहा  मेरी बरसो कि मेहनत और इज्जत पर तुमने अपने घमंड से बरबाद कर दिया।  उकुंद सब कुछ चुप चाप सुनता रहा  उसे भी अपनी गलती का अहसास हो गया था।

कुछ दुर बैठा नुकुंद सांती के साथ कुछ सोचने लगा , और सारा माहोल  को इत्मिनान से देखने लगा , पुरा दो दिनो तक वैसे ही देखता रहा , फिर तभी उठकर एक कोने मे जाकर एक बड़ा सा पत्थर के नीचे का मीट्टी अपनी चोंच से खोद कर हटाने लगा। वो उसी तरह हर दिन वैसा ही करने लगा , कभी  मिट्टी हटाता तो कभी पंजो से उस पत्थर को ढकेलता।  झुंड के सारे बगुले ये सब देख रहे थे , कुछ ने आकर नुकुंद से इसके बारे मे पुछा भी , नुकुंद ने सिर्फ इतना ही जवाब दिया , वक्त आने पर खुद ही समझ जाओगे , फिलहाल मेरे साथ नहीं बलकि झुंड के साथ ही रहो।

बहोत मेहनत करने के बाद  अचानक ही वो बड़ा सा चट्टान उंचाइ से नीचे की तरफ लुडकने लगा , और लुडकते हुए झील के उस कोने मे जाकर गिरा जहां वो सांप सो रहा था , चट्टान सांप के उपर गिरने से वो सांप कुचलकर मर गया।  ये सब झुंड वाले देखकर खुस हो गए , और माली के आंखो मे भी खुसी के आंसु आ गए।

फिर माली ने नुकुंद से पुछा , बेटा तुमने ये सब कैसे किया ? ,नुकुंद ने कहा , मै दो दिनो तक सांप कि गतिवीधीयों को देखता रहा , और मैने देखा कि वो अपना शिकार खाकर हमेसा झील के इसी कोने पर आकर सोता था।  फिर मैने उसके सोते हुए वक्त पर चट्टान के रुकावट को हटाने लगा जिससे वो चट्टान उस सांप पर गिर जाए, और आखिरी मे वही हुआ।

माली ने कहा “बेटा अगर हमे भी अपनी योजना के बारे मे बता देते तो हम भी तुम्हारा मदद करते और सांप जल्द मर जाता। “

नुकुंद ने कहा  “मैने जान बुझकर ये काम अकेले ही किया , अगर सब आते तो सांप को संदेह हो जाता और वो होसीयार हो जाता। “

ये सुनते ही पुरे झुंड से अवाज आया , सरदार नुकुंद को ही बनाया जाये , सरदार के लिये नुकुंद ही काबिल है।  फिर माली ने भी नुकुंद को गले लगाकर कहा , हां सरदार नुकुंद ही बनेगा।

फिर माली उकुंद के पास गया और उससे कहा , कामयाबी काबिलीयत से पाया जात है।  तुम किसी सरदार के बड़े बेटे हो तो इसका ये मतलब नहीं है कि तुम सरदार बन जाओ , सरदार बनने के लिए काबिल होना जरुरी है , और वो काबिलीयत नुकुंद मे है इसलिए तुम हमेसा नुकुंद का साथ देना और अपने प्रव्रती मे बदलाव लाने का कोसिस करना।

उकुंद ने अपन सर झुकाकर पीता के सामने अपनी हामी भरी और पुरे झुंड के समने सबसे माफी मांगा।

सार  : जिसके बारे मे जानकारी न हो उसपर कभी  भरोसा नही करना चाहीये , अंजान चिजे खतरनाक हो सकता है।

क़िसी भी पद के लिए कबलियत होना जरूरी है , वरना वो सबके लिए नुकसान दायक होगा।

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